भारत में मूल अधिकार की सर्व प्रथम मांग संविधान विधेयक, १८९५ के माध्यम से की गयी।
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साथ ही इस प्रकरण में यह भी स्पष्ट रूप से सामने नही लाया गया था कि कितनी रिश्वत राशि मांगी गई थी तथा प्रथम मांग के समय कब कितनी राशि मांगी गई हो।
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जुलाई 1993 तक उन्होंने अपना राज्य स्तरीय अधिवेशन किया और अपना प्रथम मांग पत्र जारी किया, जिसमें साथिनों के लिये मजदूर का दर्जा, उचित वेतन, गांव वासियों की समस्याओं को प्राथमिकता देना न कि सरकार द्वारा थोपी गयी बातों को, सरकारी अधिकारियों की मनमानी पर रोक और साथिनों के लिये सुरक्षित काम की हालतों की मांगें शामिल थीं।